कभी कभार आ तो जाया करती थी

 



अर्ज किया है 

यादें करती है फरियाद मुझसे 

क्यों बंद किया उस कोने को जालिम

मेहमान बनकर ही सही 

कभी कभार आ तो जाया करती थी |

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