Eid Poetry/ईद मुबारक देता हूँ - कृष्ण मलिक अम्बाला/


ईद के सुअवसर पर कुछ पंक्तियाँ ।
कवि कह रहा है —
"ईद मुबारक देता हूँ "

भारत का हूँ मैं एक सिपाही
हिन्दू -मुस्लिम है सब मेरे भाई
हिन्दू हूँ बेशक , सभी को सम्मान देता हूँ
अपने धर्म के साथ, दूसरे से सीखें लेता हूँ
नहीं है दुश्मन हिन्दू मुस्लिम , क्यों व्यर्थ भड़कातें है
चार भाई ही तो है देश में , क्यों नही साथ रह पाते हैं
करता हूँ पुरे जग से आह्वान , बेशक हिन्दू बेशक मुसलमान
हिन्दू रहो बेशक , करो दूसरे धर्मों का भी सम्मान
अच्छाई बुराई सब धर्म में मिलेगी , कुछ राक्षसों का है परिणाम
नहीं तो सभी धर्म ही सुनाएँ , अमन चैन का पैगाम

एक ही डाली के हैं सब फूल
लड़ झग़ड़ने की न कर भूल

खुद भी हूँ हिन्दू , सभी हिंदुओं को कहता हूँ
क्यों नहीं रहते मिलकर तुम , यही अफ़सोस में रहता हूँ

हर धर्म में ज्ञान है अद्भुत , ले लो भाईयों जी भरकर
ज्ञान देने वाला नही है पूछता , दूसरे धर्म से हो तुम मगर
मुस्लिम भी है मेरे भाई , वफादारी धर्म की उनसे सीखो

तीस रोज देते कुर्बानी , आये अक्ल तो देकर देखो
जागो हिंदुओं जागो, अब तुम जाग ही जाओ

सभी धर्म के हैं अपने भाई , इनको तुम गले लगाओ
हमेशा से हमें एक बात गयी गई है सिखलाई
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई , आपस में सब भाई भाई
आज हिन्दू हो कर ओह रखवालों , पहल एक कर देता हूँ
तुम भी सभी को पहुँचाओ , ईद मुबारक देता हूँ

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तुम भी सभी को पहुँचाओ , ईद मुबारक देता हूँ

©® KRISHAN MALIK 07.07.2016

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4 Comments

  1. Hey Krishan, it's Really Nice Post & Thanks for sharing.

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