हारिये न हिम्मत तब तक


 हारिये न हिम्मत तब तक

जब तक हड्डियों में जान बाकी है ।

करना है संघर्ष तुम्हें 

जब तक जीत का मैदान बाकी है ।

हारिये न हिम्मत तब तक

जब तक हड्डियों में जान बाकी है ।





मंजिल को ही जुनून जान लो 

जब तक आत्मा रूपी प्राण बाकी हैं ।

रुकना नहीं बेशक धीरे चलो

जब तक जीतने के अरमान बाकी हैं ।

हारिये न हिम्मत तब तक 

जब तक हड्डियों में जान बाकी है ।



कर्म के आगे रिश्ते भी फीके 

बस यही बताना गुणगान बाकी है । 

केवल दोस्ती तब तक न करना

जब तक दोस्त का एहसान बाकी है ।

गुनगुनाते रहो गीत जिंदादिली के 

जब तक सुर की मिलनी कमान बाकी है ।

हारिये न हिम्मत तब तक

जब तक हड्डियों में जान बाकी है। 




कुछ नया सीखने की करो हर पल

चाहे न रही शिखर की  उड़ान बाकी है ।

आलोचना उपहास को मन से भगाओ

जब तक मिलनी वो पहचान बाकी है।

मलिक ने किया आगाज़ कर्म का 

क्योंकि इसकी धरा पर मिसाल बाकी है।

हारिये न हिम्मत तब तक

जब तक हड्डियों में जान बाकी है ।


कृष्ण मलिक अम्बाला हरियाणा

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