कुछ अनुभव हैं अनोखे से , जरा अपना कर देखे तो कोई/ ANUBHAV POETRY


पलक झपकते ही जो भूल जाएं

उन्हें कैसे दिल मे रोके कोई
कुछ अनुभव है अनोखे से
जरा अपना कर देखे तो कोई

आंखों में पढ़ने को है दर्द की गहराई
किसी अपने को ही ये बात जाती है समझाई
बस कोई अपना समझकर देखे तो कोई
कुछ अनुभव है अनोखे से , ज़रा अपना कर देखे तो कोई

साथ मिलकर चलते हैं कई रिश्ते
लेकिन सभी का है अलग ही किनारा
किनारे लगते हुए आंख गीली हो जाती है
ऐसा एहसास पाने को सोचे तो कोई
कुछ अनुभव हैं अनोखे से , ज़रा अपना कर देखे तो कोई

जब तक रहिये,हंसते हुए गुजारिये अनमोल पलों को
कब किसे खुदा कहाँ ले जाये , ये क्या जान सका है कोई
कुछ अनुभव हैं अनोखे से , ज़रा अपना कर देखे तो कोई

खुशी गम तो हैं तो तराने जीवन के
बारिश पतझड़ तो है बहाने मौसम के
माया उसकी को क्या समझ सका है कोई
कुछ अनुभव हैं अनोखे से , ज़रा अपना कर देखे तो कोई

जीते जी कर सको दुनिया के वास्ते कुछ तो बेहतर
मरकर पत्थरों पर तो खुद जाता है हर कोई
जब जीकर ही रही बेकार जिंदगी , तो क्या मरने पर सँवार सका है कोई
कुछ अनुभव हैं अनोखे से , ज़रा अपना कर देखे तो कोई

दिलों में बसकर रहो सभी के , कर्म होंगे अगर जिंदादिली के
सहारा बनकर दूसरों का , चमके तुम बहार खिली से
अनदेखा कर बेसहारा को , क्या ऊंचा उठ सका है कोई
कुछ अनुभव हैं अनोखे से , ज़रा अपना कर देखे तो कोई

कृष्ण मलिक अम्बाला 28.04.2017

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