होली पर कविता/POETRY ON HOLI


होलिया में उड़े रे गुलाल
मच गया बरसाने में बवाल
आ गयी रंगों की ये जो होली
खेल रहे सभी रंग आँख मिचौली

हो रहा स्वर्ग सम दृश्य हर ओर
फिर रहे हैं आज तो सभी रंगों के चोर





नफरत भी हो गयी प्रेम सम पावन
हो गया आज का दिन मनभावन
कलम ने देखी मस्ती की कल्पना
सोचा करना है बयां , यूँहीं था मन बना
आओ घुल मिल जाये रंगों की मस्ती में
मिटा के भेद सभी ऊंची नीची हस्ती के
विश्व को सभी एक परिवार बनायें
ऐसा ही हम होली का धूम धाम से त्यौहार मनाएं ।
©® कृष्ण मलिक अम्बाला 02.03.2018

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