बोलो बेटों बताओ बेटों
आँखों ही आँखों में बेशक , दर्द तो जताओ बेटों ।
बेटियां छा रही हैं , जग चमका रही हैं
तुम क्यों आलस के आधीन आये बेटों
बोलो बेटों बताओ बेटों,,,,,,,,
तुम क्यों भूल रहे ताकत अपनी
ये हालत नहीं है सामान्य लगती
बेटियों ने हर तरफ हैं झंडे गाड़े
तुम अब कहाँ खो गए बेटों
बोलो बेटों बताओ बेटों,,,,
बेटियों का युग आने वाला है
तुम्हारा युग जाने वाला है
ऐसा तो नहीं होगा क्या
तुम करोगे काम बेटियों के
होगी हर तरफ बेटी ही बेटियां
बेटे बचाओ क्या चिल्लाओगे बेटों
बोलो बेटों बताओ बेटों,,,,,,
वो किया करेंगी काम तुम्हारे बेटों
अब तो पहनावा भी उनका तुम संग हो लिया
पहचान भी नहीं आया करेंगी कुछ सालों में
तुम जैसे ही करने लगी है व्यवहार बेटों
बोलो बेटों बताओ बेटों,,,,,,
कुछ वर्षों में अबला तुम बन जाओगे क्या
तुम्हारी भी हेल्पलाइन बनायी जायेगी
ऐसे पिछड़ते जा रहे हो
क्यों हिम्मत छोड़ते जा रहे बेटों
बोलो बेटों बताओ बेटों ,,,,,
तुम्हारे साहस की क्या कोई फिर कहानी नहीं होगी
तुम पर हंसेगा जग ये , तुम इतने निर्बल क्या हो जाओगे बेटों
अफ़सोस कलयुग के उस मोड़ पर ये कलम न होगी
न तुम्हें जगाने को ये मलिक आएगा बेटों
अभी भी है वक़्त कुछ तो सम्भल जाओ बेटों
बोलो बेटों बताओ बेटों
आँखों ही आँखों में दर्द तो जताओ बेटों ।।
छोड़ आलस और निद्रा की आदत को
आगे बढ़ साहस से , कलयुग से लड़ जाओ बेटों ।
बोलो बेटों बताओ बेटों,,,,,,,,
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