रक्षाबंधन


 

बंधवा कर राखी तुझसे मेरी बहना

भाई चाहता है तुझसे कुछ कहना

बेशक पड़े तुझे पराये घर में रहना

पर हर गम को तूने , ख़ुशी से है सहना


शिष्टाचार की तुम मूरत बनो

सभ्यता की असली सूरत बनो

तेरे चाल चलन पर हो गर्व मुझे

हर कोई कहने को तरसे , बहन तुझे


आधुनिकता के जाल में तुम मत फंसना

देखना पड़े भाई को , तुझ पर जग हंसना

तेरी सादगी का आदर और सत्कार करूँ

हर मुसीबत में रक्षा तेरी , बारम्बार करूँ


फर्ज के तराजू का सन्तुलन बना बढ़ते रहना

बन जाए वाणी की मिठास , तेरे होंठों का गहना

बंधवा कर राखी तुझसे मेरी बहना .......


तेरे ससुराल में तुझ पर मान करे हर कोई

ढूंढने पर भी मिलने पाये कमी तुझमे कोई

मर्यादा में रहना , पति की बन कर रानी।

तेरे संस्कार पर भी , बन जाये कोई कहानी।


पाक कला से मुख मोड़ना तुम

फैशन के लिए नाता परिवार से तोडना तुम

टीवी की लत तेरा घर तोड़ सकती है

फेसबुक और व्हाट्स एप्प भी रिश्ते मरोड़ सकती है


नहीं बुरी है ये सब सहूलत , अगर सही प्रयोग करेगी।

अगर फंस गयी इस बीमारी में , हर पल दुःख भोग करेगी।

नारी है नारीत्व का कर शिंगार हर पल।

पहचान पुरानी तुम भूलकर , भटक जाना तुम आजकल


तेरी क़ुरबानी पर फ़िदा हो बच्चे तेरे

कर दे सच सब , ये ख्वाब सच्चे मेरे

सास ससुर का आदर माँ बाप की तरह करती रहना

चमके तेरे कर्म की खुशबू से , समाज का हर कोना


बंधवा कर राखी तुझसे मेरी बहना

भाई चाहता है तुझसे बस यही कहना

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